जोड़ों के दर्द का यह भारतीय तरीका वाकई में आश्चर्यजनक है'। जाने-माने जर्मन रूमेटोलॉजिस्ट ने भारतीय मीडिया में एक बिंदास इंटरव्यू दिया
20.12.2020
कॉल क्रिश्चमायर बर्लिन रूमेटोलॉजी सेंटर ट्यूमर
जेंत्रुम ईवा मायर-स्टिहल के हेड, दुनिया में जाने-माने चैरिटे-क्लीनिक में:
जोड़ों की बीमारियों के पीछे केवल एक ही चीज होती है जिसे भारतीय डॉक्टर पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं।
पिछले साल कार्ल किर्श्चमायर भारत आए थे जहां उन्हें भारतीय डॉक्टरों के
अनुभव समझने का मौका मिला। उन्होंने जो भी यहां देखा उससे वे आश्चर्यचकित रह गए। कार्ल
किर्श्चमायर मानते हैं कि हमारे देश में रूमेटोलॉजी साइंस पिछली शताब्दी के स्तर पर ही अटका हुआ
है।
जर्मनी में कई हाईप्रोफाइल कॉन्फ्रेंस करने के बाद डॉक्टर कार्ल
किर्श्चमायर ने भारतीय मीडिया को एक इंटरव्यू देने के लिए सहमति दे दी। जाने-माने डॉक्टर को भारत
के इलाज करने के तरीके में क्या खराब लगा और वह यह क्यों कहते हैं कि भारत के जोड़ों के दर्द के
मरीज कभी ठीक नहीं होंगे?
- जर्मन पत्रकारों के प्रश्नों का जवाब देते समय आपने कहा था कि आप
भारत में जो कुछ हो रहा है वह देख कर चौक गए थे। क्या आप इस बारे में और बता सकते हैं?
- देखिए सबसे पहले मैं यह बता दूं कि मुझे भारत देश, भारतीय संस्कृति या
यहां के लोगों से कोई परेशानी नहीं है। लेकिन मैं यह बता दूं कि आपके देश में स्वास्थ्य सेवाओं का
हाल वाकई में बहुत खराब है। यह कम से कम 20, और हो सकता है 30 साल पीछे चल रही हैं। कम से कम जब
बात जोड़ों और मस्क्यूलोस्केलेटल सिस्टम की बीमारियों की इलाज की आती है तो यही लगता है। हम यह कह
सकते हैं कि भारत में रूमेटोलॉजी एक विज्ञान के रूप में अस्तित्व में ही नहीं है।
चलिए देखते हैं भारतीय डॉक्टर इलाज के लिए कौन-कौन सी दवाई लिखते हैं -
Viprosal, Dolgit, Voltaren/Fastum जैल, Diclofenac, Teraflex, Nurofen और इसी तरह की दूसरी
दवाएं।
लेकिन इन दवाओं से जोड़ और कार्टिलेज ठीक नहीं होते, इनसे सिर्फ लक्षणों
में आराम मिलता है - मतलब इनसे दर्द, सूजन आदि बस कम होते हैं। अब जरा सोचिए कि शरीर के अंदर क्या
हो रहा होता है। जब हम कोई दवाई लेते हैं, या कोई एनेस्थेटिक जेल लगाते हैं यह हमें इंजेक्शन लगता
है तो दर्द चला जाता है। लेकिन जैसे ही दवा का असर खत्म होता है तुरंत दर्द वापस आ जाता है।
दर्द हमारे शरीर के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण संकेत होता है जो जोड़ों की
बीमारियों की ओर इशारा करता है। जब हम केवल दर्द को दबाते हैं तो खराब हो रहे जोड़ों पर और भी लोड
पड़ता है। यह 3 से 5 गुना ज्यादा तेजी से खराब होने लगते हैं जिससे ऐसे बदलाव हो जाते हैं जिन्हें
फिर से ठीक नहीं किया जा सकता और वह पूरी तरह से अपाहिज भी हो सकता है।
यूरोप में जोड़ों के दर्द का यह तरीका 20 साल पहले ही बंद हो चुका है।
वहाँ पेनकिलर केवल तभी दी जाती है जब बहुत इमरजेंसी हो और इन्हें भी बहुत सावधानी से सीमित मात्रा
में। जर्मनी में तो इन्हें केवल डॉक्टर के पर्चे पर कड़े कंट्रोल में ही खरीदा जा सकता है।
तथाकथित 'कोंड्रोप्रोटेक्टर' तो पूरी तरह प्रतिबंधित है क्योंकि यह
बेकार की दवाएं हैं और इन पर पैसे खर्च करना बेवकूफी होता है।
आपके यहां के डॉक्टर और दवाई के दुकान वाले लोगों को अपाहिज बना रहे
हैं! यह साफ है कि इन महंगी पेनकिलर बेचने से लक्षणों में आराम जरूर मिल जाता है और ये इनके लिए
बीमारी को हमेशा के लिए ठीक कर देने से कहीं ज्यादा मुनाफे का सौदा होते हैं। लेकिन ये ऐसा करने
की हिम्मत कैसे कर सकते हैं!
- जर्मनी में जोड़ों के इलाज की क्या स्थिति है?
- सभी जर्मन डॉक्टर, रूमेटोलॉजिस्ट, जनरल प्रैक्टिशनर और पैरामेडिक्स
लंबे समय से यह जानते हैं कि बीमारी के इलाज के लिए उसकी जड़ पर काम करना पड़ता है ना कि लक्षणों
पर। इससे पूरी तरह से, तेजी से और सुरक्षित तरीके से बीमारी ठीक होने की गारंटी मिलती है। और
देखिए जोड़ों की समस्याओं का मुख्य कारण आखिर होता क्या है? रक्त प्रवाह में गड़बड़ियों और
सिनोवियल फ्लूइड के प्रवाह में विकारों के कारण और ओर्थो-साल्ट्स का जमा हो जाना।
यूरेट या यूरिक एसिड के ट्रू साल्ट, जो वात की जड़ होते हैं।
ओस्टियोफ़ाइट्स या कैल्साइन साल्ट्स से ही जोड़ो और रीढ़ की हड्डियों की
97% बीमारियां होती हैं। यह बीमारियां हैं, सभी प्रकार के आर्थराइटिस और ओस्टियोआर्थराइटिस,
डीडीडी, ऑस्टियोपोरोसिस, रूमेटिज्म, बार्सिटिस और यहां तक कि हाइड्रोमा भी। इन सभी बीमारियों की
एक ही जड़ होती है - ओस्टियोफाइट्स का जमा हो जाना।
जोड़ों की संरचना पर जम चुके सॉल्ट आसपास के ऊतकों, अर्थात हड्डी और
कार्टिलेज को रेगमाल की तरह घिसकर खराब करने लगते हैं। बढ़ते सॉल्ट क्रिस्टल मांसपेशियों के
ऊतकों, नसों, रक्त की धमनियों और कैपिलरियों को नुक्सान पहुंचाते हैं। इससे सूजन, इंफेक्शन और
भयानक दर्द होता है।
सीरियस हो चुके मामलों में ओर्थों-सॉल्ट के बड़े-बड़े टुकड़े हड्डी के
एक बड़े हिस्से को आसानी से तोड़ सकते हैं जिससे जोड़ पूरा खराब और स्थाई रूप से अपाहिज हो सकता
है।
एक बहुत ही खतरनाक मिथ्या यह है कि कैल्शियम जोड़ों के लिए अच्छा होता
है। जी हां, कैल्शियम अच्छा होता है लेकिन केवल तब जब आपके जोड़ स्वस्थ होंगे। जब जोड़ों
में दर्द होता है या उनमें क्रैक होता है तो इसका अर्थ यह होता है कि ओस्टियोफाइट्स की एक परत
उनके चारों ओर पहले ही जम चुकी है। कैल्शियम हड्डियों के ऊतकों को मजबूती तो देता है लेकिन
ओस्टियोफाइट भी लाता है जिससे उनकी बढ़त और तेज हो जाती है।
इसलिए जर्मन रूमेटोलॉजिस्ट सबसे पहले खराब हो रहे जोड़ में रक्त प्रवाह
वापस लाते हैं जिससे कई सालों से जमा हो रहा ओर्थों-साल्ट बाहर निकलें। इसी से सिनोवियल फ्लूड का
प्रवाह सामान्य होता है और जोड़ों के ऊतकों की रिकवरी शुरू हो जाती है।
साल्ट-क्रिस्टल
बड़ी अजीब बात है लेकिन जोड़ वापस ठीक होने की बहुत अच्छी क्षमता रखते
हैं और इस तरह अपने आप ठीक हो सकते हैं जैसे किसी छिपकली की पूंछ हो जाती है। इन्हें बस
ऑर्थो-सॉल्ट के जमावड़े को साफ करने में थोड़ी मदद की जरूरत होती है और बाकी की प्रोसेस ये खुद
शुरू कर लेते हैं।
पिछली शताब्दी के 90 के दशक में स्विट्जरलैंड के वैज्ञानिकों ने एक तरह
के क्वासी विटामिन बी के एक खास प्रकार को विकसित करने में सफलता पा ली थी। इसे अल्फा-आर्टरोफ़ीरोल
भी कहा जाता है। किसी प्राकृतिक घटकों को संश्लेषित करके बनाया जाता है जैसे कि फ़र-नीडल ऑयल,
हिरणों के सींग, बेयरिश रेड रूट और 50 से भी ज्यादा दूसरे एक्स्ट्रैक्ट।
यह पदार्थ ओर्थो-साल्ट्स के अणुओं में भी प्रवेश करने की क्षमता रखता है
और उन्हें अंदर से तोड़ता है जिससे जोड़ों की सतह साफ हो जाती है, रक्त और सिनोवियल फ्लूइड का
प्रवाह वापस सामान्य हो जाता है। इसका असर स्थाई रहता है! या यह कहें कि तब तक बना रहता है जब तक
कि सॉल्ट दोबारा नहीं जम जाते (लेकिन ऐसा होने में कई दशक लग जाते हैं)। इसमें आपको दर्द और सूजन
से राहत पाने के लिए लगातार दवाइयां नहीं लेनी पड़तीं। अब आपको इस बात का भी डर नहीं होता कि आप
के जोड़ कहीं हमेशा के लिए निष्क्रिय ना हो जाएं और आप कहीं अपाहिज ना हो जाएं। लोग कई दशकों तक
पूरी तरह स्वस्थ बने रहते हैं।
जब मैंने भारतीय मेडिकल आंकड़े देखें तो मेरे तो रोंगटे खड़े हो गए।
क्या आप जानते हैं भारत में अपाहिज होने का सबसे बड़ा कारण क्या है? यह ना तो कैंसर है ना एड्स और
ना डायबिटीज, यह ओस्टियोआर्थराइटिस है! जर्मनी में तो ओस्टियोआर्थराइटिस का इलाज चार से छह हफ्तों
में ही बिना महंगी दवाओं के कर दिया जाता है वही भारत में यह पेशेंट को अपाहिज करके रहता है!
आज जर्मनी में जोड़ों की बीमारियों को खतरनाक नहीं माना जाता। मैं भयानक
एक्सीडेंट से होने वाली चोटों की बात नहीं कर रहा जैसे: फ्रैक्चर, हड्डियां बुरी तरह टूट जाना
आदि। दर्द और सूज चुके जोड़ उनमें जमा हो चुके साल्ट के लक्षण ही हैं जिन्हें सफाई की जरूरत होती
है। 4 से 6 हफ्ते के जोड़ो की सफाई के कोर्स से वे अपनी सामान्य अवस्था में वापस आ सकते हैं और
समस्याएं अगले दशक तक तो नहीं होतीं।
जोड़ों की बीमारियां, जिन्हें भारत के लोग अलग से ठीक करना चाह रहे हैं
उन्हें यूरोप में एक ही बीमारी के अंदर देखा जाता है जिसे जॉइंट कैल्सीनोसिस कहते हैं। इसमें
शामिल हैं:
- वात
- आर्थराइटिस
- ओस्टियोआर्थराइटिस
- डिजनरेटिव डिस्क डिजीज
- रूमेटिज्म
- होस्ट प्रोसेस
- बर्सिटिस
- सिनोविटिस
- हाइब्रोमा
एक बहुत छोटी लिस्ट है लेकिन दूसरी बीमारियां इन मुख्य 9 बीमारियों के
अंदर ही आती हैं। उदाहरण के लिए कॉक्स आर्थ्रोसिस एक तरह की ओस्टियोआर्थराइटिस ही है आदि।
बीमारियों की यह लंबी लिस्ट बहुत आसानी से ठीक हो जाती है और इसके लिए
सिर्फ जोड़ों की सफाई करनी होती है। यह पूरी तरह सुरक्षित है, इसमें लंबे मेडिकल इलाज की जरूरत
नहीं पड़ती और इसे घर पर ही किया जा सकता है।
- आप लोग जर्मनी में जोड़ों की सफाई कैसे करते हैं?
- आज जर्मनी में ऐसी कई खास चीजें मिलती हैं जो जोड़ों के सॉल्ट डिपॉजिट
साफ कर देती हैं। इन में अल्फा-आर्टरोफ़ीरोल होते हैं। उदाहरण के लिए एक बहुत अच्छा ब्रांड है Herbex Pain Oil. इसमें मिलाया गया अल्फा-आर्टरोफ़ीरोल एक खास प्रकार का होता है जो आसानी
से अवशोषित हो जाता है।
Herbex Pain Oil का एक और फायदा यह है कि इसमें सिस्टम
ओर्थ्रो-विटामिन और ट्रेस एलिमेंट्स का एक कॉम्प्लेक्स होता है जिसे जोड़ों के ऊतकों की मजबूती
बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है। यह हड्डियों और कार्टिलेज ऊतकों, सिनोवियल फ्लूइड, लिगमेंट और
टेंडन तथा मांसपेशियों के रेशों के लिए बहुत ही अच्छा असर करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह
एक व्यापक और बहुआयामी असर वाला ब्रांड है।
Herbex Pain Oil में 50 से भी ज्यादा चीजें होती हैं। में इन
सभी के नाम तो नहीं लिखूंगा, केवल मुख्य चीजों के बारे में बताऊंगा:
कपूर |
कार्टिलेज उत्तक को मजबूती दे कर उसे टोन करती है, उसकी लचक बढ़ा देती है और घिसने के विरुद्ध प्रतिरोध बढ़ जाता है |
पेपरमिंट |
छोटी कैपिलरी की पारगम्यता सामान्य करती है |
Nigēlla satīva |
जोड़ों के उत्तरों की सूजन और इन्फेक्शन से आराम देता है, उनके खराब होने की प्रोसेस को रोक देता है |
Hippóphaë |
ऑर्थो-साल्ट्स के जमावड़े को नष्ट कर देता है, उन्हें नरम करके छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट देता है जिससे ये साफ हो जाते हैं |
Salix |
रक्त की धमनियों को चौड़ा कर देती है, जोड़ों की और रक्त प्रवाह बेहतर करती है |
- जहां तक मुझे पता है Herbex Pain Oil भारत में दवा की
दुकानों पर नहीं बेची जाती?
- यह सच है, नहीं बेची जाती। भारत के डॉक्टर यहां के लोगों तो ठीक करने
की जगह उन्हें पेनकिलर और कोंड्रोप्रोटेक्टर देते रहना चाहते हैं।
वहीं कुछ ऐसे भारतीय रूमेटोलॉजिस्ट भी है जो एडवांस मेडिसिन में
दिलचस्पी रखते हैं और जिन्हें Herbex Pain Oil और इसके गुणों के बारे में पता है। लेकिन
फिर भी उन्हें यह दवा लिखने की हिम्मत नहीं होती क्योंकि यह भारत में रिकमंडेड ड्रग्स की लिस्ट
में नहीं है।
जहां तक मुझे पता है, Herbex Pain Oil बनाने वाली कंपनी
भारतीय मार्केट में आना चाहती थी लेकिन उसे इसकी परमिशन नहीं दी गई और सैकड़ों तरह की बाधाएं डाली
गईं । देखिए यह समझने वाली बात है, यदि यह दवाई दुकानों में बिकने लगे तो भारतीय फार्मा माफिया को
करोड़ों का नुकसान होने लगेगा। भारत की मेडिकेशन इंडस्ट्री अरबों का बिजनेस है! ऐसा यूरोप में भी
है लेकिन यूरोप में यह पूरी इंडस्ट्री सरकार कंट्रोल करती है।
- आप भारत के उन लोगों को क्या सलाह देंगे जो जोड़ों के दर्द से
परेशान हैं?
- आम लोग, खासकर 50 से ऊपर के लोग ही भारत की पुराने जमाने की दवाओं कि
पहले शिकार होते हैं। लेकिन इसमें उनकी कोई गलती नहीं है क्योंकि पूरा सिस्टम ही ऐसा है।
ऑर्थोपेडिक्स और रुमेटोलॉजी विश्वविद्यालय
4400 inr
2200 inr
लेकिन सौभाग्य से एक तरीका है। हमारे समाचारपत्र ने यूनिवर्सिटी ऑफ
ऑर्थोपेडिक्स एंड रूमेटोलॉजी एवं भारतीय डाक के साथ इस दवा को जोड़ों के दर्द से परेशान भारत के
सभी नागरिकों तक डिस्ट्रीब्यूट करने का एक समझौता किया है। यूनिवर्सिटी के स्टाफ ने खास
डिस्ट्रिब्यूशन सेंटर बनाया है जहां हमने इस दवा का बैच पहुंचाया है। इसलिए आज के दिन भारत के
नागरिक भी Herbex Pain Oil को केवल 2200 inr की कीमत पर ऑर्डर कर सकते हैं और इसकी पूरे
देश में फ्री डिलीवरी दी जाएगी।
अब मैं आपको बताता हूं कि Herbex Pain Oil पाने के लिए आपको
क्या करना होगा।
नीचे लिखें चरणों का पालन करें:
- Herbex Pain Oil पाने के लिए इस लेख के अंत में दिए गए ऑफिशल एप्लीकेशन फॉर्म को भर दें;
- हमारे मैनेजर का कॉल आएगा, उसका जवाब दें और वह आपके सभी प्रश्नों का भी उत्तर देगा। वह आपसे डिलीवरी के पते को भी कंफर्म करने के लिए कहेगा;
- 5 से 7 दिन के बाद पोस्ट ऑफिस से पार्सल उठा लें
Herbex Pain Oil केवल 2 महीने के लिए भेजी जा रही है। हजारों
भारतीय लोग इस मौके का फायदा उठा चुके हैं। जिसको भी Herbex Pain Oil मिल जाती है हम
उससे इस प्रोडक्ट के असर को 1 से 10 तक के पैमाने पर रेट करने के लिए कहते हैं। आज के दिन 3,000
से भी ज्यादा लोग सर्वे में हिस्सा ले चुके हैं और ब्रांड को मिली औसत रेटिंग 10 में से 9.97
आई है ।
जैसा कि आप देख सकते हैं, Herbex Pain Oil की मदद से हजारों
भारतीय नागरिक आज फिर से चल-फिर सकने की स्थिति में आ गए हैं और आप भी उनमें से एक हो सकते हैं।
- लेकिन यह ऑफर कब तक चलेगा?
- यह तब तक चलेगा जब तक बैच में स्टॉक बचा है। लेकिन मैं इसकी चेतावनी
जरूर दे दूं कि 2200 inr की कीमत वाला स्टॉक कम हो गया
है। इसके ढेरों आर्डर आ रहे हैं क्योंकि लोग इसके बारे में अपने दोस्तों और नाते-रिश्तेदारों को
बताते जा रहे हैं। लोग इससे अपने रिश्तेदारों या दोस्तों के लिए भी आर्डर करने की कोशिश करते
हैं। किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि Herbex Pain Oil के बारे में जानकारी इतनी तेजी से
फैलेगी।
जब तक यह प्रोडक्ट उपलब्ध है मैं तो यही सलाह दूंगा कि 45 साल से अधिक
के लोग इसे डिस्काउंट वाले रेट 2200 inr पर निवेदन करके
ले लें।
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10 DAY MONEY BACK GURRENTY*
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